October 15, 2025
उत्तराखंड मौसम: देहरादून समेत 4 जिलों में भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट, 100 से ज्यादा सड़कें बंद, यात्रा पर भी असर
Uttarakhand

उत्तराखंड मौसम: देहरादून समेत 4 जिलों में भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट, 100 से ज्यादा सड़कें बंद, यात्रा पर भी असर

Aug 28, 2025

देहरादून, उत्तराखंड – देवभूमि उत्तराखंड में मानसून का कहर एक बार फिर देखने को मिल रहा है। पिछले कुछ दिनों से हो रही रुक-रुक कर बारिश के बाद, मौसम विभाग (IMD) ने आज, गुरुवार, 28 अगस्त के लिए राज्य के चार जिलों में भारी से बहुत भारी वर्षा का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। इस बीच, लगातार हो रहे भूस्खलन (landslide) के कारण राज्य भर में 100 से अधिक सड़कें बंद हो गई हैं, जिससे पहाड़ी क्षेत्रों में सामान्य जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है और चार धाम यात्रा के मार्गों पर भी इसका असर पड़ा है।

राज्य आपदा प्रबंधन (disaster management) विभाग ने सभी जिलों को सतर्क रहने का निर्देश दिया है और SDRF की टीमों को संवेदनशील स्थानों पर तैनात किया गया है। प्रशासन ने स्थानीय लोगों और पर्यटकों से विशेष सावधानी बरतने की अपील की है।

मौसम विभाग की चेतावनी: इन जिलों में रहें सतर्क

देहरादून स्थित मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार, आज राज्य के चार जिलों में भारी वर्षा की संभावना है। इन जिलों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है, जिसका अर्थ है कि लोगों को खराब मौसम के लिए “तैयार रहना” चाहिए।

ऑरेंज अलर्ट वाले जिले:

  • देहरादून
  • पौड़ी गढ़वाल
  • नैनीताल
  • चंपावत

इन जिलों में कुछ स्थानों पर गरज और बिजली चमकने के साथ तीव्र वर्षा होने की आशंका है। इसके अलावा, राज्य के अन्य जिलों के लिए भी ‘येलो अलर्ट’ जारी किया गया है, जहाँ हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। देहरादून का मौसम आज दिन भर खराब रहने की संभावना है।

यातायात पर भारी असर: 100 से ज़्यादा सड़कें बंद

लगातार हो रही बारिश का सबसे बड़ा असर राज्य के सड़क नेटवर्क पर पड़ा है। आपदा प्रबंधन विभाग की सुबह की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य भर में कुल 112 सड़कें यातायात के लिए अवरुद्ध हैं। इनमें कई राज्य राजमार्ग और ग्रामीण सड़कें शामिल हैं जो भूस्खलन के मलबे के कारण बंद हो गई हैं।

प्रमुख मार्गों की स्थिति:

  • चार धाम यात्रा मार्ग: Char Dham Yatra route status पर भी इसका असर पड़ा है। बद्रीनाथ, केदारनाथ और यमुनोत्री-गंगोत्री की ओर जाने वाले कई राष्ट्रीय राजमार्गों पर रुक-रुक कर भूस्खलन हो रहा है, जिससे यात्रियों को घंटों इंतजार करना पड़ रहा है।
  • ग्रामीण संपर्क मार्ग: सबसे बुरी स्थिति ग्रामीण क्षेत्रों की है, जहाँ कई छोटे संपर्क मार्ग बंद होने से दर्जनों गाँवों का जिला मुख्यालय से संपर्क टूट गया है।

लोक निर्माण विभाग (PWD) की टीमें सड़कों को खोलने के लिए लगातार काम कर रही हैं, लेकिन खराब मौसम और रुक-रुक कर हो रहे भूस्खलन के कारण इसमें काफी मुश्किलें आ रही हैं।

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चार धाम यात्रा और पर्यटकों के लिए एडवाइजरी

मानसून के इस रौद्र रूप को देखते हुए, प्रशासन ने चार धाम यात्रा पर आए यात्रियों और उत्तराखंड घूमने आए पर्यटकों के लिए एक विशेष एडवाइजरी जारी की है:

  1. यात्रा से पहले जानकारी लें: किसी भी यात्रा पर निकलने से पहले, सड़क की स्थिति और उत्तराखंड मौसम के पूर्वानुमान की जाँच अवश्य कर लें।
  2. पहाड़ों में अनावश्यक यात्रा से बचें: जब तक बहुत आवश्यक न हो, भारी बारिश के अलर्ट के दौरान पहाड़ी क्षेत्रों की यात्रा करने से बचें।
  3. नदी-नालों से दूर रहें: बारिश के कारण नदी-नालों का जलस्तर अचानक बढ़ सकता है। इनके किनारों पर जाने से बचें।
  4. सुरक्षित स्थानों पर रहें: यदि आप किसी होटल या होमस्टे में हैं, तो भूस्खलन के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों से दूर, सुरक्षित स्थानों पर ही रहें।

उत्तराखंड पुलिस और SDRF की टीमें चार धाम मार्गों पर फंसे हुए यात्रियों की मदद के लिए सक्रिय हैं और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुँचा रही हैं।

प्रशासन हाई अलर्ट पर

इस उत्तराखंड बारिश अलर्ट के बाद, राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन पूरी तरह से हाई अलर्ट पर हैं। सभी जिलाधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्रों में स्थिति पर कड़ी नजर रखने और किसी भी आपात स्थिति के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया गया है। SDRF की टीमों को संवेदनशील स्थानों पर पहले से ही तैनात कर दिया गया है ताकि किसी भी आपदा की स्थिति में तुरंत बचाव कार्य शुरू किया जा सके।

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निष्कर्ष: अगले 48 घंटे महत्वपूर्ण

उत्तराखंड मौसम के इस बदलते मिजाज को देखते हुए अगले 48 घंटे अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ऑरेंज अलर्ट, 100 से अधिक सड़कों का बंद होना और भूस्खलन का बढ़ता खतरा एक गंभीर स्थिति की ओर इशारा कर रहा है। सभी से अनुरोध है कि वे सरकारी दिशानिर्देशों का पालन करें, सुरक्षित रहें और किसी भी तरह का जोखिम न उठाएं। प्रशासन की पहली प्राथमिकता किसी भी तरह के जान-माल के नुकसान को रोकना है, और इसके लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।

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