October 15, 2025
INDIA ब्लॉक का सबसे बड़ा दांव! आज होगा उपराष्ट्रपति उम्मीदवार का ऐलान, इन 3 चेहरों पर सस्पेंस!
Politics

INDIA ब्लॉक का सबसे बड़ा दांव! आज होगा उपराष्ट्रपति उम्मीदवार का ऐलान, इन 3 चेहरों पर सस्पेंस!

Aug 19, 2025

नई दिल्ली: भारतीय राजनीति का पारा आज अपने चरम पर है। महीनों की अटकलों और रणनीतिक मंत्रणा के बाद, विपक्षी दलों का महागठबंधन, भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (INDIA), आज शाम देश के अगले उपराष्ट्रपति के लिए अपने संयुक्त उम्मीदवार के नाम का ऐलान करने जा रहा है। यह घोषणा सिर्फ एक नाम का अनावरण नहीं है, बल्कि यह सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के खिलाफ विपक्ष की एकता, रणनीति और राजनीतिक संदेश का एक लिटमस टेस्ट है।

सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर आज शाम गठबंधन के शीर्ष नेताओं का जमावड़ा होगा। इस बैठक में राहुल गांधी, शरद पवार, अरविंद केजरीवाल, और ममता बनर्जी तथा अखिलेश यादव के प्रतिनिधियों सहित अन्य प्रमुख नेताओं के शामिल होने की उम्मीद है। इस हाई-प्रोफाइल बैठक के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से उस चेहरे पर से पर्दा उठाया जाएगा जो विपक्ष की ओर से उपराष्ट्रपति पद के लिए NDA के उम्मीदवार को चुनौती देगा।

यह चुनाव सिर्फ संवैधानिक पद के लिए नहीं, बल्कि 2029 के आम चुनावों से पहले राजनीतिक विमर्श की दिशा तय करने के लिए भी लड़ा जा रहा है।

संभावित चेहरे: कौन हैं दौड़ में सबसे आगे?

हालांकि अंतिम निर्णय बैठक में ही होगा, लेकिन राजनीतिक गलियारों में तीन प्रमुख प्रोफाइल पर सबसे अधिक चर्चा हो रही है, जो विपक्ष की रणनीति की ओर इशारा करते हैं:

कांग्रेस का कोई दिग्गज (The Congress Veteran):

चर्चा है कि विपक्ष कांग्रेस के किसी वरिष्ठ, अनुभवी और साफ-सुथरी छवि वाले नेता को मैदान में उतार सकता है। इस श्रेणी में दक्षिण भारत से किसी नेता का नाम सबसे आगे चल रहा है ताकि क्षेत्रीय संतुलन साधा जा सके। पी. चिदंबरम, शशि थरूर या मल्लिकार्जुन खड़गे जैसे नेता अपनी संसदीय समझ, प्रशासनिक अनुभव और राष्ट्रीय स्वीकार्यता के कारण एक मजबूत विकल्प हो सकते हैं। इस तरह का उम्मीदवार यह संदेश देगा कि विपक्ष संवैधानिक पदों की गरिमा को समझता है और एक अनुभवी व्यक्ति को आगे कर रहा है।

किसी क्षेत्रीय दल का क्षत्रप (The Regional Satrap):

INDIA गठबंधन की एकता को प्रदर्शित करने के लिए यह भी संभव है कि कांग्रेस किसी सहयोगी दल के नेता के नाम पर सहमति जताए। यह कदम गठबंधन के भीतर विश्वास को मजबूत करेगा और यह संदेश देगा कि कांग्रेस बड़े भाई की भूमिका निभाने के बजाय सबको साथ लेकर चलने को तैयार है। तृणमूल कांग्रेस (TMC), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) या द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) के किसी वरिष्ठ नेता का नाम इस श्रेणी में आ सकता है। यह कदम गठबंधन की एकजुटता का सबसे बड़ा प्रमाण होगा।

चौंकाने वाला सामाजिक चेहरा (The Surprise Activist/Civil Society Candidate):

विपक्ष एक अप्रत्याशित दांव भी चल सकता है और किसी गैर-राजनीतिक लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित व्यक्ति को अपना उम्मीदवार बना सकता है। यह कोई सेवानिवृत्त न्यायाधीश, प्रसिद्ध अर्थशास्त्री, सामाजिक कार्यकर्ता या लेखक हो सकता है। इस तरह के उम्मीदवार को मैदान में उतारकर विपक्ष एक वैचारिक लड़ाई लड़ने की कोशिश करेगा। इसका उद्देश्य यह दिखाना होगा कि उनकी लड़ाई केवल राजनीतिक सत्ता के लिए नहीं, बल्कि देश के लोकतांत्रिक और संवैधानिक मूल्यों को बचाने के लिए है। गोपालकृष्ण गांधी का पिछला उदाहरण इस रणनीति की ओर इशारा करता है।

उपराष्ट्रपति चुनाव का गणित: क्या INDIA ब्लॉक के पास नंबर हैं?

उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों – लोकसभा और राज्यसभा – के सदस्यों द्वारा किया जाता है। वर्तमान में, संसद में कुल 788 सदस्य (543 लोकसभा + 245 राज्यसभा) हैं। जीतने वाले उम्मीदवार को आधे से अधिक वोट, यानी कम से कम 395 वोट चाहिए।

मौजूदा दलीय स्थिति के अनुसार, सत्तारूढ़ NDA गठबंधन के पास यह आंकड़ा आसानी से पार करने की संख्या है। भाजपा अकेले ही बहुमत के काफी करीब है, और अपने सहयोगियों के साथ मिलकर वे एक आरामदायक जीत की स्थिति में हैं।

इसके विपरीत, INDIA गठबंधन संख्या बल में काफी पीछे है।

तो फिर चुनाव लड़ने का असली मकसद क्या है? रणनीति की गहराई

जब हार लगभग निश्चित है, तो विपक्ष चुनाव क्यों लड़ रहा है?

यह सवाल सबसे महत्वपूर्ण है, और इसका जवाब विपक्ष की दीर्घकालिक रणनीति में छिपा है।

 विपक्षी एकता का प्रदर्शन: यह चुनाव INDIA गठबंधन के लिए अपनी एकता को प्रदर्शित करने का सबसे बड़ा मंच है। एक संयुक्त उम्मीदवार खड़ा करके, वे देश को यह संदेश देना चाहते हैं कि वे सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर एक साथ हैं। यह गठबंधन के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण विश्वास-बढ़ाने वाला कदम है।

 वैचारिक लड़ाई: चुनाव केवल जीतने के लिए नहीं लड़े जाते। विपक्ष इस मंच का उपयोग अपनी विचारधारा को देश के सामने रखने के लिए करेगा। उम्मीदवार के माध्यम से, वे बेरोजगारी, महंगाई, सामाजिक न्याय और संवैधानिक संस्थाओं की स्वायत्तता जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरने की कोशिश करेंगे।

 सत्ता पक्ष को वाकओवर न देना: लोकतंत्र में, विपक्ष का कर्तव्य है कि वह सत्ता पक्ष को आसानी से मैदान खाली न दे। चुनाव लड़कर, विपक्ष यह सुनिश्चित करता है कि संवैधानिक पदों पर नियुक्ति बिना किसी बहस और चर्चा के न हो।

 नैरेटिव सेट करना: उम्मीदवार का चयन (चाहे वह महिला हो, दलित हो, अल्पसंख्यक समुदाय से हो, या कोई बुद्धिजीवी हो) एक शक्तिशाली राजनीतिक संदेश देता है। विपक्ष अपने उम्मीदवार के प्रोफाइल का उपयोग एक विशेष नैरेटिव बनाने और भविष्य के चुनावों के लिए अपनी दिशा स्पष्ट करने के लिए करेगा।

NDA का रुख: सत्ता पक्ष का अगला कदम

विपक्ष की घोषणा के बाद, अब सभी की निगाहें NDA पर होंगी। उम्मीद है कि सत्तारूढ़ गठबंधन भी जल्द ही अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान करेगा। NDA संभवतः भाजपा के किसी वरिष्ठ और संगठनात्मक नेता को मैदान में उतारेगा, जो उनकी विचारधारा के प्रति प्रतिबद्ध हो। उनका चयन 2029 के आम चुनावों और आगामी विधानसभा चुनावों के जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को ध्यान में रखकर किया जाएगा।

निष्कर्ष: सिर्फ एक नाम नहीं, एक राजनीतिक संदेश

आज शाम INDIA गठबंधन द्वारा की जाने वाली घोषणा केवल एक उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं है। यह 2029 के लिए उनकी राजनीतिक बिसात की एक महत्वपूर्ण चाल है। भले ही चुनावी गणित उनके पक्ष में न हो, लेकिन इस चुनाव के माध्यम से वे जो एकता, विचारधारा और राजनीतिक संदेश देंगे, उसका प्रभाव दूरगामी होगा।

आज का दिन यह तय करेगा कि विपक्ष केवल सांकेतिक लड़ाई लड़ रहा है या एक सुविचारित रणनीति के तहत देश के सामने एक मजबूत विकल्प पेश करने की तैयारी कर रहा है। जिस चेहरे पर आज मुहर लगेगी, वह विपक्ष की भविष्य की राजनीति की पहली और सबसे महत्वपूर्ण झलक होगी।



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