October 14, 2025
Gangotri Highway COLLAPSES Into Tehri Lake! 200-Meter Road VANISHES, Thousands Feared Stranded!
News Uttarakhand

Gangotri Highway COLLAPSES Into Tehri Lake! 200-Meter Road VANISHES, Thousands Feared Stranded!

Aug 17, 2025

उत्तरकाशी/देहरादून: उत्तराखंड में मानसून की विनाशलीला एक बार फिर अपने चरम पर है। रविवार देर शाम एक भयावह और विनाशकारी घटना में, सामरिक और धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-34) का लगभग 200 मीटर का एक विशाल हिस्सा टूटकर टिहरी बांध की झील में समा गया। यह प्रलयकारी भूस्खलन उत्तरकाशी जिले के सुनगर के पास हुआ, जिसने राज्य की राजधानी देहरादून और ऋषिकेश से जिले का संपर्क पूरी तरह से काट दिया है।

इस घटना के दिल दहला देने वाले वीडियो और तस्वीरें सामने आ रही हैं, जिसमें सड़क का एक बड़ा हिस्सा गायब दिख रहा है और नीचे टिहरी बांध का अथाह पानी है। इसके अतिरिक्त, सालंग पुल के पास भी सड़क धंसने की खबर है, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई है। इस दोहरी मार ने गंगोत्री धाम की यात्रा को पूरी तरह से ठप कर दिया है और हजारों स्थानीय लोगों, पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के फंसे होने की आशंका जताई जा रही है। प्रशासन ने हाई अलर्ट जारी कर दिया है और बचाव कार्य शुरू कर दिए गए हैं।

ताज़ा घटनाक्रम (रविवार, रात 10:00 बजे तक)

  • महाविनाशकारी भूस्खलन: गंगोत्री हाईवे पर सुनगर के पास लगभग 200 मीटर सड़क पूरी तरह से टूटकर टिहरी जलाशय में विलीन हो गई।

  • दोहरी मार: मुख्य भूस्खलन स्थल से कुछ किलोमीटर दूर सालंग पुल के पास भी सड़क का एक हिस्सा धंस गया है, जिससे यातायात पूरी तरह असंभव हो गया है।

  • संपर्क कटा: इस घटना के कारण उत्तरकाशी जिला मुख्यालय और उससे आगे गंगोत्री तक का संपर्क देश के बाकी हिस्सों से पूरी तरह कट गया है।

  • हाई अलर्ट जारी: जिला प्रशासन ने हाई अलर्ट जारी किया है और SDRF (स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स) और पुलिस की टीमों को घटनास्थल के लिए रवाना कर दिया है।

  • चार धाम यात्रा बाधित: गंगोत्री धाम की यात्रा अगले आदेश तक पूरी तरह से रोक दी गई है। फंसे हुए यात्रियों की सही संख्या का अभी पता नहीं चल पाया है।

ग्राउंड रिपोर्ट: घटनास्थल पर प्रलय का मंजर

प्रत्यक्षदर्शियों और स्थानीय निवासियों के अनुसार, यह घटना रविवार शाम भारी बारिश के बाद हुई। “पहले छोटे-छोटे पत्थर गिरने शुरू हुए, और इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, एक गड़गड़ाहट की आवाज के साथ पूरी की पूरी सड़क नीचे झील में समा गई,” एक स्थानीय निवासी ने फोन पर बताया। “हमने अपनी आंखों के सामने सड़क को गायब होते देखा है, यह बहुत डरावना था।”

इस घटना ने न केवल यातायात को बाधित किया है, बल्कि इसने एक बड़ा मानवीय संकट भी पैदा कर दिया है। राजमार्ग के दोनों ओर सैकड़ों वाहन फंसे हुए हैं, जिनमें तीर्थयात्रियों से भरी बसें, पर्यटक वाहन और आवश्यक सामान ले जा रहे ट्रक शामिल हैं। रात के अंधेरे और लगातार हो रही बारिश के कारण बचाव कार्यों में भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

प्रशासन की प्रतिक्रिया: बचाव कार्य युद्ध स्तर पर जारी

घटना की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (USDMA) हरकत में आ गए। उत्तरकाशी के जिलाधिकारी ने स्थिति को “अत्यंत गंभीर” बताया है।

  • SDRF और NDRF की तैनाती: राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) की टीमों को तुरंत घटनास्थल पर भेजा गया है। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) को भी अलर्ट पर रखा गया है।

  • प्राथमिकता: प्रशासन की पहली प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि इस घटना में कोई जनहानि तो नहीं हुई है। इसके बाद, फंसे हुए लोगों तक भोजन, पानी और चिकित्सा जैसी आवश्यक सहायता पहुंचाना है।

  • वैकल्पिक मार्गों की तलाश: सीमा सड़क संगठन (BRO) और लोक निर्माण विभाग (PWD) के इंजीनियरों को सड़क की बहाली के लिए मूल्यांकन करने का निर्देश दिया गया है, लेकिन अधिकारियों का मानना है कि सड़क के इतने बड़े हिस्से के पुनर्निर्माण में हफ्तों,甚至 महीनों लग सकते हैं।

एक आवर्ती दुःस्वप्न: उत्तराखंड के राजमार्ग इतने असुरक्षित क्यों हैं?

यह विनाशकारी घटना कोई अकेली घटना नहीं है। यह उत्तराखंड के पहाड़ों में बार-बार होने वाले एक दुःस्वप्न की ताजा कड़ी है। लेकिन ऐसा क्यों होता है? इसके पीछे कई गहरे और आपस में जुड़े हुए कारण हैं।

  1. नाजुक भूविज्ञान: हिमालय दुनिया के सबसे युवा और भूवैज्ञानिक रूप से सबसे सक्रिय पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है। यहाँ की चट्टानें और मिट्टी स्वाभाविक रूप से अस्थिर हैं, जो भारी बारिश होने पर भूस्खलन के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हो जाती हैं।

  2. जलवायु परिवर्तन का कहर: विशेषज्ञ लगातार चेतावनी दे रहे हैं कि जलवायु परिवर्तन के कारण मानसून का मिजाज बदल रहा है। अब कम समय में अत्यधिक तीव्र बारिश होती है, जिसे ‘क्लाउडबर्स्ट’ या ‘बादल फटना’ भी कहा जाता है। यह केंद्रित वर्षा पहाड़ों की नाजुक ढलानों को अस्थिर कर देती है, जिससे बड़े पैमाने पर भूस्खलन होते हैं।

  3. अंधाधुंध विकास का दबाव: पिछले कुछ दशकों में, विशेष रूप से महत्वाकांक्षी चार धाम ऑल-वेदर रोड परियोजना के तहत, पहाड़ों में सड़कों को चौड़ा करने के लिए बड़े पैमाने पर कटाई की गई है। पर्यावरणविदों का आरोप है कि अवैज्ञानिक तरीके से पहाड़ों को काटने, विस्फोटकों का उपयोग करने और मलवे का सही ढंग से निस्तारण न करने से ढलानें कमजोर हो गई हैं।

  4. टिहरी बांध का प्रभाव: यह भूस्खलन सीधे टिहरी बांध के विशाल जलाशय में हुआ है, जो एक और महत्वपूर्ण सवाल खड़ा करता है। विशेषज्ञ “जलाशय-प्रेरित भूकंपीयता” (Reservoir-Induced Seismicity) और जलाशय के जल स्तर में लगातार उतार-चढ़ाव (Drawdown Effect) के कारण आसपास की ढलानों पर पड़ने वाले प्रभाव पर चिंता जताते रहे हैं। पानी का दबाव और उसका उतार-चढ़ाव चट्टानों की दरारों में प्रवेश कर सकता है, जिससे वे कमजोर हो जाती हैं और भूस्खलन की चपेट में आ जाती हैं।

चार धाम यात्रा और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग केवल एक सड़क नहीं है; यह इस क्षेत्र की जीवन रेखा है।

  • तीर्थयात्रा पर संकट: यह राजमार्ग सीधे गंगोत्री धाम को जोड़ता है, जो चार धामों में से एक है। यात्रा के चरम मौसम में इसका बंद होना हजारों तीर्थयात्रियों की योजनाओं पर पानी फेर देता है और यात्रा के प्रबंधन को अस्त-व्यस्त कर देता है।

  • आर्थिक कमर टूटी: उत्तरकाशी और आसपास के क्षेत्रों की पूरी अर्थव्यवस्था पर्यटन और तीर्थयात्रा पर निर्भर है। होटल, रेस्तरां, टैक्सी ऑपरेटर और स्थानीय दुकानदार सभी को इस आपदा से भारी आर्थिक नुकसान होगा।

यात्रियों और स्थानीय लोगों के लिए सलाह एवं हेल्पलाइन

  • यात्रा स्थगित करें: यदि आप गंगोत्री या उत्तरकाशी की यात्रा करने की योजना बना रहे हैं, तो कृपया अगले आदेश तक अपनी योजना स्थगित कर दें।

  • सुरक्षित रहें: जो लोग क्षेत्र में हैं, उनसे अनुरोध है कि वे सुरक्षित स्थानों पर रहें और नदियों या भूस्खलन-संभावित क्षेत्रों के पास न जाएं।

  • आधिकारिक जानकारी पर भरोसा करें: किसी भी जानकारी के लिए केवल आधिकारिक स्रोतों पर विश्वास करें। अफवाहों से बचें।

  • आपातकालीन हेल्पलाइन:

    • राज्य आपदा नियंत्रण कक्ष: 1070 / 0135-2710335

    • उत्तरकाशी जिला आपदा नियंत्रण कक्ष: 1077 / 01374-226461

निष्कर्ष: एक गंभीर चेतावनी

गंगोत्री हाईवे का यह विनाशकारी पतन प्रकृति का एक और प्रकोप मात्र नहीं है; यह एक गंभीर चेतावनी है। यह हमें याद दिलाता है कि हिमालय के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र में विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाना कितना महत्वपूर्ण है। जब तक भूवैज्ञानिक संवेदनशीलता, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और वैज्ञानिक रूप से सुदृढ़ निर्माण प्रथाओं को हमारी विकास योजनाओं के केंद्र में नहीं रखा जाता, तब तक हम इस तरह की मानव निर्मित त्रासदियों को बार-बार देखते रहेंगे।

फिलहाल, सभी की प्रार्थनाएं और ध्यान उत्तरकाशी में फंसे लोगों की सुरक्षा और बचाव दलों के अथक प्रयासों पर केंद्रित है, जो इस आपदा के बीच मानवता की उम्मीद की किरण बनकर काम कर रहे हैं।

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