
रुद्रप्रयाग में फटा बादल, बसुकेदार में भारी तबाही! कई लोग लापता, SDRF का बचाव अभियान जारी
रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड – देवभूमि उत्तराखंड एक बार फिर बड़ी प्राकृतिक आपदा की चपेट में है। रुद्रप्रयाग जिले के बसुकेदार घाटी क्षेत्र में देर रात हुए बादल फटने (cloudburst) के बाद भारी तबाही की खबर आ रही है। इस घटना के कारण अचानक आई बाढ़ और भारी मलबे की चपेट में आने से कई मकान और वाहन बह गए हैं, और कई लोगों के लापता होने की आशंका जताई जा रही है।
घटना की सूचना मिलते ही राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) और जिला प्रशासन की टीमें तुरंत मौके के लिए रवाना हो गईं। फिलहाल, युद्ध स्तर पर राहत और बचाव कार्य चलाया जा रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं और अधिकारियों को हर संभव मदद मुहैया कराने का निर्देश दिया है।
ग्राउंड जीरो से रिपोर्ट: तबाही का खौफनाक मंजर
बसुकेदार के स्थानीय निवासियों के अनुसार, यह घटना देर रात करीब 2 बजे के आसपास हुई, जब ज्यादातर लोग अपने घरों में सो रहे थे। अचानक गड़गड़ाहट की तेज आवाज के साथ भारी मात्रा में पानी और मलबा पहाड़ों से नीचे आया और नदी ने विकराल रूप ले लिया।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि पानी का बहाव इतना तेज था कि वह अपने साथ रास्ते में आने वाली हर चीज को बहा ले गया। कई कच्चे और पक्के मकान ताश के पत्तों की तरह ढह गए, और बाहर खड़े वाहन पानी में बहते नजर आए। इलाके की बिजली और संचार व्यवस्था पूरी तरह से ठप हो गई है, जिससे संपर्क साधने में भारी कठिनाई हो रही है। सुबह होते ही तबाही का जो मंजर सामने आया, वह दिल दहला देने वाला है। चारों तरफ कीचड़, पत्थर और टूटे हुए घरों का मलबा बिखरा पड़ा है।
राहत और बचाव कार्य: समय के खिलाफ एक दौड़
उत्तराखंड आपदा की सूचना मिलते ही SDRF और NDRF की टीमों को तुरंत घटनास्थल पर भेजा गया। बचाव दल के सामने सबसे बड़ी चुनौती लापता लोगों को जल्द से जल्द ढूंढना है।
बचाव अभियान में आने वाली प्रमुख चुनौतियाँ:
- अवरुद्ध रास्ते: मुख्य सड़कों पर भूस्खलन के कारण बचाव टीमों को घटनास्थल तक पहुँचने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है।
- खराब मौसम: इलाके में अभी भी रुक-रुक कर बारिश हो रही है, जिससे बचाव कार्यों में बाधा आ रही है और नए भूस्खलन का खतरा बना हुआ है।
- भारी मलबा: घरों और अन्य संरचनाओं के मलबे के नीचे दबे लोगों को निकालना एक बहुत ही कठिन और संवेदनशील कार्य है।
SDRF rescue operation के तहत टीमें अत्याधुनिक उपकरणों और खोजी कुत्तों की मदद से लापता लोगों की तलाश कर रही हैं। घायलों को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों में पहुंचाया जा रहा है।
प्रशासनिक प्रतिक्रिया और मुख्यमंत्री का बयान
रुद्रप्रयाग बादल फटा की घटना पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर जानकारी देते हुए कहा, “रुद्रप्रयाग के बसुकेदार क्षेत्र में बादल फटने की घटना अत्यंत दुखद है। मैंने जिलाधिकारी से बात कर स्थिति का जायजा लिया है और SDRF एवं जिला प्रशासन को बचाव एवं राहत कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। प्रभावितों को हर संभव सहायता प्रदान की जाएगी।”
जिला प्रशासन ने आपदा से हुए नुकसान का आकलन करना शुरू कर दिया है और प्रभावित परिवारों के लिए अस्थायी आश्रय और भोजन की व्यवस्था कर रहा है।
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क्यों फटते हैं बादल? इस आपदा को समझें
बादल फटना (cloudburst) एक ऐसी मौसमी घटना है जिसमें एक बहुत छोटे से भौगोलिक क्षेत्र में बहुत कम समय में अत्यधिक भारी वर्षा होती है (आमतौर पर 100 मिमी प्रति घंटे से अधिक)। उत्तराखंड की पहाड़ी भौगोलिक संरचना के कारण यहाँ इस तरह की घटनाओं का खतरा अधिक होता है। खड़ी ढलानें और कमजोर चट्टानें भारी बारिश के दबाव को झेल नहीं पातीं, जिससे विनाशकारी बाढ़ और भूस्खलन होता है।
रुद्रप्रयाग जिला विशेष रूप से संवेदनशील रहा है। यह वही जिला है जो 2013 की केदारनाथ आपदा के दौरान सबसे अधिक प्रभावित हुआ था, जब मंदाकिनी नदी में आई बाढ़ ने भारी तबाही मचाई थी।
निष्कर्ष: प्रार्थना और प्रतीक्षा
बसुकेदार तबाही ने एक बार फिर उत्तराखंड की प्राकृतिक संवेदनशीलता को उजागर किया है। इस समय, पूरे देश की प्रार्थनाएं रुद्रप्रयाग के लोगों के साथ हैं। बचाव दल अपनी जान पर खेलकर लापता लोगों की तलाश कर रहे हैं, और प्रशासन प्रभावितों को राहत पहुँचाने की पूरी कोशिश कर रहा है।
अगले 24 घंटे बचाव अभियान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। नुकसान का पूरा आकलन होने में अभी कुछ समय लगेगा, लेकिन यह स्पष्ट है कि इस उत्तराखंड आपदा ने कई परिवारों को गहरे जख्म दिए हैं।
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