October 15, 2025
ट्रंप-ज़ेलेंस्की की गुप्त बैठक का पर्दाश! बोले- ‘मुझे यूक्रेनियन और रशियन दोनों से प्यार है’, क्या खत्म होगा युद्ध?
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ट्रंप-ज़ेलेंस्की की गुप्त बैठक का पर्दाश! बोले- ‘मुझे यूक्रेनियन और रशियन दोनों से प्यार है’, क्या खत्म होगा युद्ध?

Aug 19, 2025

जेनेवा/वॉशिंगटन डी.सी.: वैश्विक राजनीति में हलचल मचाते हुए, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की के बीच एक अप्रत्याशित और गुप्त बैठक होने की खबर ने दुनिया भर के राजनयिक गलियारों में सनसनी फैला दी है। यह उच्च-स्तरीय बैठक, जो महीनों से चल रहे विनाशकारी यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की एक साहसिक पहल के रूप में देखी जा रही है, उम्मीद और आशंका दोनों को जन्म दे रही है।

बैठक के बाद डोनाल्ड ट्रंप का एक बयान सुर्खियों में है, जिसमें उन्होंने कहा, “मुझे यूक्रेनियन से प्यार है, मुझे रूसियों से प्यार है। हमें इस युद्ध को रोकना होगा।” इस एक वाक्य ने जहाँ कुछ लोगों में शांति की उम्मीद जगाई है, वहीं कई नाटो सहयोगियों और विश्लेषकों के बीच चिंता की लकीरें खींच दी हैं।

यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब ट्रंप लगातार यह दावा करते रहे हैं कि अगर वह सत्ता में होते तो “24 घंटे के भीतर” युद्ध समाप्त कर सकते थे। तो क्या यह बैठक उस दावे को सच करने की दिशा में पहला कदम है? इस मुलाकात के अंदर किसने क्या कहा और क्या है ट्रंप के तथाकथित ‘शांति प्रस्ताव’ का सच? आइए इस ऐतिहासिक बैठक की परतों को खोलते हैं।

बैठक का एजेंडा: शांति की एक साहसिक, पर जोखिम भरी तलाश

सूत्रों के अनुसार, यह बैठक पूरी तरह से एक ही एजेंडे पर केंद्रित थी: यूक्रेन में युद्ध को समाप्त करने के लिए एक व्यावहारिक रोडमैप तैयार करना।

 ट्रंप का दृष्टिकोण: ट्रंप का लक्ष्य दोनों पक्षों को तुरंत बातचीत की मेज पर लाना और एक “सौदा” करना था। उनका मानना है कि लगातार सैन्य सहायता भेजना समस्या का समाधान नहीं है, बल्कि एक ऐसा समझौता करना है जिससे रक्तपात तुरंत रुक जाए, भले ही इसके लिए कुछ कठिन निर्णय लेने पड़ें।

 ज़ेलेंस्की की मजबूरी और उम्मीद: राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की के लिए यह बैठक एक दोधारी तलवार की तरह थी। एक ओर, वह युद्ध समाप्त करने के किसी भी गंभीर प्रयास का स्वागत करेंगे। दूसरी ओर, उन्हें यह सुनिश्चित करना था कि यूक्रेन के हितों, विशेषकर उसकी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता से कोई समझौता न हो। वह ट्रंप के वास्तविक इरादों को समझने और भविष्य में अमेरिकी समर्थन की प्रकृति का आकलन करने के लिए वहाँ थे।

किसने क्या कहा: बयानों का गहरा विश्लेषण

इस बैठक से जो बयान सामने आए हैं, वे दोनों नेताओं के दृष्टिकोण के बीच के विशाल अंतर को दर्शाते हैं।

डोनाल्ड ट्रंप: उनका “मुझे यूक्रेनियन और रशियन दोनों से प्यार है” वाला बयान उनकी ‘डील-मेकर’ वाली छवि को दर्शाता है। वह खुद को एक तटस्थ मध्यस्थ के रूप में प्रस्तुत करना चाहते हैं जो दोनों पक्षों के हितों को समझता है। हालांकि, आलोचकों का कहना है कि यह बयान आक्रामक (रूस) और पीड़ित (यूक्रेन) के बीच एक नैतिक समानता स्थापित करता है, जो खतरनाक है। उन्होंने जोर देकर कहा कि “लोग मरना बंद करें” और यह उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है।

वलोडिमिर ज़ेलेंस्की: ज़ेलेंस्की के बयान अधिक सधे हुए और सतर्क थे। उन्होंने बैठक को “स्पष्ट और कभी-कभी कठिन” बताया। उन्होंने दोहराया कि यूक्रेन के लिए कोई भी शांति समझौता “न्यायपूर्ण” होना चाहिए। उनके अनुसार, “न्यायपूर्ण शांति” का अर्थ है:

  •  यूक्रेन की 1991 की सीमाओं की पूर्ण बहाली।
  •  रूसी सैनिकों की पूर्ण वापसी।
  •  युद्ध अपराधियों के लिए जवाबदेही।
  • ज़ेलेंस्की ने स्पष्ट किया कि यूक्रेन अपनी जमीन का सौदा नहीं कर सकता।

ट्रंप का ‘शांति प्रस्ताव’: पर्दे के पीछे क्या है?

हालांकि कोई आधिकारिक योजना जारी नहीं की गई है, लेकिन लीक और अंदरूनी सूत्रों के आधार पर ट्रंप के शांति प्रस्ताव की एक धुंधली तस्वीर उभरती है, जिसमें निम्नलिखित बिंदु शामिल हो सकते हैं:

तत्काल युद्धविराम: बातचीत शुरू करने के लिए पहली शर्त के रूप में तत्काल संघर्ष विराम।

क्षेत्रीय रियायतें: यह सबसे विवादास्पद बिंदु है। माना जा रहा है कि ट्रंप की योजना में यह प्रस्ताव शामिल हो सकता है कि यूक्रेन क्रीमिया और डोनबास के कुछ हिस्सों पर रूसी नियंत्रण को स्वीकार कर ले, जिसके बदले में रूस बाकी यूक्रेन पर हमले बंद कर देगा।

 नाटो सदस्यता पर रोक: यूक्रेन की नाटो में शामिल होने की आकांक्षाओं पर स्थायी रूप से रोक लगाना, जो रूस की एक प्रमुख मांग रही है।

बड़े पैमाने पर पुनर्निर्माण सहायता: युद्ध की समाप्ति के बाद यूक्रेन के पुनर्निर्माण के लिए अमेरिका और यूरोपीय देशों से बड़े पैमाने पर वित्तीय सहायता का वादा।

दुनिया भर से प्रतिक्रियाएं: उम्मीद, आशंका और गुस्सा

इस बैठक ने वैश्विक स्तर पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं उत्पन्न की हैं।

 यूक्रेन: यूक्रेनी जनता में गहरी चिंता है। वे शांति चाहते हैं, लेकिन रूस को अपनी जमीन सौंपने की कीमत पर नहीं।

 रूस (क्रेमलिन): क्रेमलिन ने इस बैठक पर सतर्क प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि वे संघर्ष को समाप्त करने के लिए “किसी भी गंभीर प्रयास” का स्वागत करते हैं, लेकिन यह भी दोहराया कि उनकी “जमीनी हकीकत” (यानी कब्जा किए गए क्षेत्रों) को स्वीकार किया जाना चाहिए।

 व्हाइट हाउस (बाइडेन प्रशासन): वर्तमान अमेरिकी प्रशासन ने इस बैठक की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा है कि यह स्थापित राजनयिक चैनलों को दरकिनार करने का एक प्रयास है और “यूक्रेन के बिना यूक्रेन के बारे में कुछ भी नहीं” की नीति पर जोर दिया है।

 यूरोपीय सहयोगी (नाटो): यूरोप में गहरी बेचैनी है। यूरोपीय नेताओं को डर है कि ट्रंप नाटो सहयोगियों को विश्वास में लिए बिना पुतिन के साथ एकतरफा सौदा कर सकते हैं, जिससे यूरोप की सुरक्षा संरचना कमजोर हो सकती है।

विश्लेषण: क्या यह मुलाकात सफल होगी?

इस बैठक की सफलता कई “अगर” और “मगर” पर निर्भर करती है। सबसे बड़ी बाधाएं हैं:

 क्या राष्ट्रपति पुतिन वास्तव में बातचीत के लिए तैयार हैं, या वह केवल समय का लाभ उठा रहे हैं?

 क्या यूक्रेनी लोग और सरकार कभी भी अपनी जमीन छोड़ने के लिए तैयार होंगे?

 क्या ट्रंप के पास अपने प्रस्ताव को लागू कराने के लिए अमेरिकी कांग्रेस और नाटो सहयोगियों का समर्थन है?

कई विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप की मंशा वास्तविक शांति स्थापित करने से ज़्यादा अपनी राजनीतिक विरासत के लिए एक बड़ी विदेश नीति की “जीत” हासिल करना है। उनका दृष्टिकोण पारंपरिक कूटनीति से बिल्कुल अलग है और यह अप्रत्याशित परिणाम दे सकता है – या तो एक त्वरित सफलता या एक विनाशकारी विफलता।

निष्कर्ष: एक ऐतिहासिक कदम या एक खतरनाक जुआ?

डोनाल्ड ट्रंप और वलोडिमिर ज़ेलेंस्की के बीच यह बैठक अपने आप में एक ऐतिहासिक घटना है। यह पहली बार है कि युद्ध शुरू होने के बाद इस स्तर पर एक सीधी और अपरंपरागत शांति वार्ता की पहल हुई है।

यह बैठक एक खतरनाक जुआ भी है। ट्रंप का लेन-देन वाला दृष्टिकोण, जिसमें वह जटिल भू-राजनीतिक मुद्दों को एक रियल एस्टेट सौदे की तरह देखते हैं, या तो दशकों पुराने गतिरोध को तोड़ सकता है या फिर यूक्रेन और पश्चिमी गठबंधन को एक बेहद कमजोर स्थिति में डाल सकता है।

फिलहाल, दुनिया सांस रोके देख रही है। यह बैठक शांति की एक धुंधली उम्मीद जगाती है, लेकिन एक न्यायपूर्ण और स्थायी शांति का मार्ग अभी भी अनिश्चितताओं, जोखिमों और कठिन समझौतों से भरा है। यह युद्ध की समाप्ति की शुरुआत है, या सिर्फ एक नए, और भी अप्रत्याशित अध्याय का आगाज, यह तो आने वाला समय ही बताएगा।



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