October 15, 2025
धामी सरकार का ₹25 करोड़ का तोहफा! 8300 श्रमिकों के खाते में आए पैसे, जानें क्या आपको मिला लाभ?
Uttarakhand

धामी सरकार का ₹25 करोड़ का तोहफा! 8300 श्रमिकों के खाते में आए पैसे, जानें क्या आपको मिला लाभ?

Aug 18, 2025

देहरादून: उत्तराखंड में हजारों निर्माण श्रमिकों और उनके परिवारों के लिए यह सप्ताह किसी त्यौहार से कम नहीं रहा, जब उनके मोबाइल फोन पर बैंक से आए एक SMS ने उनके चेहरों पर मुस्कान ला दी। एक बड़े कल्याणकारी कदम के तहत, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक बटन दबाकर राज्य के 8,300 से अधिक पंजीकृत निर्माण श्रमिकों के बैंक खातों में सीधे ₹25 करोड़ की भारी-भरकम राशि हस्तांतरित कर दी।

यह घोषणा एक विशेष कार्यक्रम के दौरान की गई, जहाँ मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। यह कदम राज्य के उन मेहनतकश हाथों को सम्मानित और सशक्त करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है जो प्रदेश के विकास की नींव रखते हैं। लेकिन यह योजना क्या है? यह पैसा किसलिए दिया गया है? कौन इसके लिए पात्र है और अगर आप एक श्रमिक हैं, तो आप इसका लाभ कैसे उठा सकते हैं? आइए, इस पूरी खबर की गहराई से पड़ताल करते हैं।

क्या है यह योजना और क्यों भेजे गए ₹25 करोड़?

यह धनराशि उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड (UKBOCW) के माध्यम से वितरित की गई है। यह बोर्ड राज्य में निर्माण क्षेत्र में काम करने वाले असंगठित श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए बनाया गया है। यह ₹25 करोड़ कोई एकमुश्त नकद राशि नहीं है, बल्कि यह बोर्ड द्वारा चलाई जा रही विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के तहत दिए जाने वाले लाभों का कुल योग है।

इस धनराशि में मुख्य रूप से निम्नलिखित योजनाएं शामिल हैं:

  • औजार/टूलकिट सहायता योजना: निर्माण श्रमिकों को उनके काम के लिए आधुनिक और बेहतर उपकरण खरीदने में मदद करने के लिए वित्तीय सहायता।

  • निर्माण श्रमिकों के बच्चों के लिए छात्रवृत्ति: श्रमिकों के बच्चों को कक्षा 1 से लेकर उच्च शिक्षा तक पढ़ाई जारी रखने के लिए छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है ताकि पैसे की कमी उनकी शिक्षा में बाधा न बने।

  • पुत्री विवाह हेतु अनुदान: पंजीकृत श्रमिकों की बेटियों के विवाह के लिए सरकार की ओर से वित्तीय अनुदान दिया जाता है, जिससे परिवार पर आर्थिक बोझ कम होता है।

  • मातृत्व एवं शिशु हितलाभ योजना: महिला निर्माण श्रमिकों को गर्भावस्था और प्रसव के दौरान वित्तीय सहायता और स्वास्थ्य लाभ प्रदान किए जाते हैं।

  • साइकिल सहायता योजना: श्रमिकों को उनके कार्यस्थल तक आसानी से पहुंचने में मदद करने के लिए साइकिल खरीदने हेतु सब्सिडी दी जाती है।

यह कदम सुनिश्चित करता है कि सरकार द्वारा दिया जाने वाला पैसा सही उद्देश्य के लिए और सही लाभार्थी तक पहुंचे।

प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT): भ्रष्टाचार पर सीधी चोट

इस कार्यक्रम की सबसे बड़ी खासियत इसका डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से होना है। DBT का मतलब है कि पैसा सरकारी कार्यालयों और बिचौलियों के चक्कर काटे बिना, सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में जमा होता है।

मुख्यमंत्री धामी ने इस पर जोर देते हुए कहा, “हमारी सरकार की नीति स्पष्ट है – पारदर्शिता और अंतिम व्यक्ति तक लाभ। DBT के माध्यम से, हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि हमारे श्रमिक भाइयों और बहनों का हक बिना किसी कटौती के सीधे उन तक पहुंचे। यह भ्रष्टाचार पर एक सीधी चोट है और सुशासन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”

यह तकनीक न केवल प्रक्रिया को तेज और पारदर्शी बनाती है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करती है कि योजनाओं का लाभ केवल वास्तविक और पात्र लाभार्थियों को ही मिले।

कौन हैं पात्र और कैसे उठा सकते हैं इन योजनाओं का लाभ?

यह सबसे महत्वपूर्ण सवाल है। यदि आप उत्तराखंड में एक निर्माण श्रमिक हैं, तो आप इन योजनाओं के लिए पात्र हो सकते हैं।

पात्रता के मुख्य मानदंड:

  • आयु: आवेदक की आयु 18 से 60 वर्ष के बीच होनी चाहिए।

  • कार्य का प्रमाण: आवेदक ने पिछले 12 महीनों में कम से कम 90 दिनों तक निर्माण श्रमिक के रूप में काम किया हो।

  • श्रमिक का प्रकार: इसमें राजमिस्त्री, बढ़ई, प्लंबर, इलेक्ट्रीशियन, वेल्डर, पेंटर, सड़क निर्माण मजदूर, और निर्माण स्थलों पर काम करने वाले अन्य सभी प्रकार के श्रमिक शामिल हैं।

पंजीकरण कैसे करें?

यदि आप पात्र हैं लेकिन अभी तक बोर्ड के साथ पंजीकृत नहीं हैं, तो आप इन सरल चरणों का पालन करके पंजीकरण कर सकते हैं:

  1. निकटतम श्रम कार्यालय जाएं: अपने जिले के श्रम कार्यालय या कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) पर जाएं।

  2. फॉर्म भरें: वहां से पंजीकरण फॉर्म प्राप्त करें और उसे ध्यान से भरें।

  3. आवश्यक दस्तावेज संलग्न करें:

    • आधार कार्ड

    • बैंक पासबुक की फोटोकॉपी (जिसमें आपका नाम, खाता संख्या और IFSC कोड स्पष्ट हो)

    • पासपोर्ट साइज फोटो

    • 90 दिनों के कार्य का प्रमाण (ठेकेदार या नियोक्ता द्वारा प्रमाणित)

  4. शुल्क जमा करें: एक मामूली पंजीकरण शुल्क और वार्षिक अंशदान शुल्क जमा करना होता है।

एक बार पंजीकृत होने के बाद, आप बोर्ड द्वारा चलाई जा रही सभी योजनाओं के लिए आवेदन करने के पात्र हो जाते हैं। यह महत्वपूर्ण है कि आप समय-समय पर अपने पंजीकरण का नवीनीकरण करवाते रहें।

असंगठित क्षेत्र पर प्रभाव: एक सामाजिक सुरक्षा कवच

भारत का निर्माण क्षेत्र अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, लेकिन इसमें काम करने वाले अधिकांश श्रमिक असंगठित क्षेत्र से आते हैं। उन्हें नौकरी की सुरक्षा, स्वास्थ्य बीमा, पेंशन या अन्य सामाजिक सुरक्षा लाभ नहीं मिलते हैं। यहीं पर कर्मकार कल्याण बोर्ड जैसी संस्थाएं एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

यह ₹25 करोड़ का हस्तांतरण केवल एक वित्तीय लेनदेन नहीं है, बल्कि यह इन श्रमिकों को यह विश्वास दिलाता है कि सरकार उनके सुख-दुख में उनके साथ खड़ी है। यह उन्हें और उनके परिवारों को एक सामाजिक सुरक्षा कवच प्रदान करता है, जिससे वे अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा दे सकते हैं, स्वास्थ्य संबंधी आपात स्थितियों का सामना कर सकते हैं और अपने भविष्य को थोड़ा और सुरक्षित बना सकते हैं।

राजनीतिक दृष्टिकोण: कल्याणकारी राजनीति के मायने

इस तरह की घोषणाओं का एक महत्वपूर्ण राजनीतिक पहलू भी होता है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में, उत्तराखंड सरकार लगातार “गरीब-समर्थक” और “कल्याण-उन्मुख” शासन की अपनी छवि को मजबूत करने का प्रयास कर रही है। श्रमिकों, किसानों और महिलाओं पर केंद्रित योजनाएं इस रणनीति का एक प्रमुख हिस्सा हैं।

यह कदम न केवल श्रमिकों का जीवन स्तर सुधारता है, बल्कि यह सरकार के प्रति एक सकारात्मक भावना भी पैदा करता है। यह दर्शाता है कि सरकार केवल बड़े औद्योगिक विकास पर ही नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर काम करने वाले लोगों की जरूरतों पर भी ध्यान दे रही है।

निष्कर्ष: एक सराहनीय कदम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा 8,300 श्रमिकों के खातों में ₹25 करोड़ का हस्तांतरण निस्संदेह एक सराहनीय कदम है। यह न केवल इन श्रमिकों को तत्काल वित्तीय राहत प्रदान करता है, बल्कि यह असंगठित क्षेत्र के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।

DBT के माध्यम से योजनाओं को लागू करना पारदर्शिता और दक्षता का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। हालांकि, असली चुनौती यह सुनिश्चित करना है कि राज्य का हर पात्र निर्माण श्रमिक इस कल्याण बोर्ड के बारे में जागरूक हो और पंजीकरण प्रक्रिया को आसानी से पूरा कर सके। यह पहल तभी पूरी तरह सफल होगी जब इसका लाभ अंतिम पात्र व्यक्ति तक पहुंचेगा।

यदि आप एक निर्माण श्रमिक हैं, तो यह आपके लिए एक सुनहरा अवसर है। आज ही अपने स्थानीय श्रम कार्यालय से संपर्क करें, अपना पंजीकरण कराएं और सरकार द्वारा प्रदान की जा रही इन कल्याणकारी योजनाओं का पूरा लाभ उठाएं।

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